खरोष्ठी पांडुलिपि के पृष्ठ
उच्च शिक्षा की राजनीतिक अर्थव्यवस्था यह दर्शाती है कि हमारी प्रणाली को आधुनिक बनाना वर्तमान काल की एक मुख्य प्राथमिकता है जो दुर्भाग्यवश शहरीकरण की ओर ले जाता है। इस कारण मध्यम वर्ग में तीव्र वृद्धि हुई है एवं उनकी उर्ध्वगामी गतिशीलता के मार्गों को विस्तारित करने की इच्छा प्रबल हुई है। जैसे ही नवीन शहरी मध्यम वर्ग की क्षमता में वृद्धि हुई उन्होंने शैक्षिक सुधार को प्राथमिकता दी जिसके कारण पिछले कुछ दशकों में मूलभूत व माध्यमिक शिक्षा समर्थ वर्गों के बीच विकसित हुई है। जैसे ही नवीन शहरी मध्यम वर्ग की क्षमता में वृद्धि हुई उन्होंने शैक्षिक सुधार को प्राथमिकता दी जिसके कारण पिछले कुछ दशकों में मूलभूत व माध्यमिक शिक्षा समर्थ वर्गों के बीच विकसित हुई है। उनकी संख्या में वृद्धि के साथ ही उच्च शिक्षा के योग्य एवं इच्छुक छात्रों की आपूर्ति भी बढ़ गई है। अंततः इस बढ़ती हुई माँग ने सभी सरकारों पर उन्नत शिक्षा के सभी संस्थानों को विस्तारित करने के लिए दबाव डाला। लेकिन ये संस्थान अपने उत्थान के लिए आम आदमी के ऋणी हैं इसका आभास बहुत कम है एवं इसलिए अधिकाधिक तरीकों से उनके कल्याण हेतु योगदान आवश्यक है। भारतीय भाषा संस्थान ने 80 जनजातीय भाषाओं सहित 118 भारतीय भाषाओं के पुरालेखीकरण द्वारा हमारे अल्पज्ञात भाषाई परंपरा के संरक्षण, संवर्धन एवं प्रलेखीकरण हेतु विशेष प्रयत्न किए हैं जो इसी दिशा की ओर एक कदम है। राष्ट्रीय सामाजिक-सांस्कृतिक एवं आर्थिक विकास की विस्तृत आवश्यकताओं के लिए उच्च शिक्षा का उपयोग वर्तमान समय का लक्ष्य होना चाहिए।.
